पूरे राज्य में 8 जुलाई 2023 को पंचायत चुनाव अनुष्ठित होने जा रहा है। जिसकी तैयारी में सभी लोग लगे हुए हैं। नामांकन की प्रक्रिया समाप्त हो चुकी है एवं चुनावी प्रचार का काम जोरों पर है। पूरे राज्य में व्यापक पैमाने पर हिंसा भी हो रही है। शासक दल तृणमूल द्वारा जबरन नामांकन वापस लेने को मजबूर करना , नामांकन के लिए जा रहे प्रार्थीयों के ऊपर हमला, नामांकन करने वालों तथा उनके प्रस्तावकों के घर पर हमला इत्यादि जारी है। मगर इस बार का पंचायत चुनाव 2018 के तुलना में बहुत अलग है। लाल झंडे के साथ गांव के लोग प्रतिरोध के लिए उतर पड़े हैं, जिसका ज्वलंत उदाहरण कई जगहों पर देखने को मिला है। बात अगर नामांकन की करें तो देखने को मिलता है कि राज्य के शासक दल के द्वारा किए जा रहे हमले को दरकिनार करते हुए, इस बार वाममोर्चा, शासक दल तृणमूल को कड़ी टक्कर दे रहा है। गांव के लोग भी शासक तृणमूल के भ्रष्टाचार से तंग आकर उनसे निजात पाने का उपाय ढूंढ रहे हैं।पंचायत चुनाव के सिलसिले में एक गांव में जाना हुआ, चाय पीने की तलब लगी, सो गांव की चाय दुकान पर पहुंच गया, वहां और भी कुछ लोग चाय पी रहे थे, साथ-साथ पंचायत चुनाव की बातें भी कर रहे थे, मैं भी उनके बगल में बैठ चुपचाप उनकी बातें सुनने लगा।पहला व्यक्ति – इ बार लगता है कुछ उलट-पलट हो जायेगा।दूसरा – कैसे, तृणमूल सरकार जो इतना ढिंढोरा पीट रहा है कि सब काम कर दिये हैं। लक्खी भंडार, सबको घर, स्कूल में पढ़ने वाले को ड्रेस, किताब सब फ्री में दे रहा है।पहला – ठीक ही कह रहा है भाई, लेकिन हमारे बड़े- बुजुर्ग एक ठो डाकू का कहानी सुनाते थे कि एक डाकू जो लूटपाट करने के बाद उसमें से कुछ पैसा दिन में गरीबों मे बांट देता था और रात में वही डाकू अपने कुछ साथियों को, जहां -जहां पैसे बांटा था, उनसे पैसा लूट लेने को लगा रखा था। वही हाल लक्खी भंडार का हो गया है।

मिलता तो 500 रुपया है। अब पंचायत में बिना रुपये दिये कोई काम ही नहीं होता चाहे तुम कोई भी प्रमाण पत्र बनाने जाओ या और भी किसी काम से, घर दिलाने के नाम पर न जाने कितना रुपया का घोटाला कर के बैठा है। अपने गांव के एक आदमी का घर पास हुआ तो उससे भी कमिशन मांग रहा है। अब बताओ जनता क्या करे। बच्चा सब स्कूल का ड्रेस दे रहा है लेकिन कोई स्कूल में मास्टर नहीं, तो कोई स्कूल में केवल एक मास्टर, तो कहीं स्कूल ही बंद है। जब स्कूल सब में पढ़ाई ही नहीं होगा, तो केवल ड्रेस और किताब दे के का होगा। इसलिए ही कह रहे हैं कि अबकी उलट पलट होगा ही।अब वहां बैठा तीसरा व्यक्ति बोला – ठीक बोल रहे हैं भैया 2013 में जब इ लोग पंचायत चुनाव जीता था तब सब जगह गड्ढा करके खाली पाइप बिछा रहा था। हम सोचे, लगता है अब पानी वाला समस्या का समाप्त हो जायेगा। लेकिन आज तक पानी की समस्या वैसे ही बरकरार है। उधर 100 दिन का काम करने वालों का डेढ़ साल से मजदूरी नहीं मिला है। बहुत का जाब कार्ड भी वही लोग रखले है।

इतने में चौथा व्यक्ति बोल पड़ा- हम तो शुरू में यही लोग को वोट दिये थे, उसके बाद पता चला कि हम कितना बड़ा भूल किए थे। जो अभी तृणमूल का नेता बनल है, पहले वह हमसे साइकिल मांग कर ले जाता था, अभी उसका घर में चार-चार गो स्कॉर्पियो गाड़ी खड़ा है। एक दिन वृद्ध पेन्शन के लिए उसके पास गए तो बोला, जाओ, बाद में आना अभी फुर्सत नहीं है। वोट लेने के समय फुर्सत रहता है काम के बेला में नहीं। हम तो कहते हैं कि एक सब पंचायत पर खाली जाँच हो फिर देखो क्या होता. है। इधर इ बीजेपी वाला खाली हिन्दू मुसलमान करता है काम के बेला जिरो बटा सन्नाटा, पूरा देश का संपत्ति बेचने पर लगा हुआ। लड़का सब पढ के बेरोजगार घर में बैठ कर झंख मार रहा है।दूसरा व्यक्ति फिर से कहा जनता तो तैयार बैठा है मगर एक डर है कि पिछली बार की तरह इस बार भी वे सब बूथ दखल कर वोट कहीं लूटपाट ना कर ले।इस बात पर सभी ने एक साथ कहा कि इस बार वैसा कुछ नहीं होगा इस बार जनता सब इकट्ठा है। बूथ दखल करने वाला आएगा तो उसका अंजाम भी बहुत बुरा होगा। वोट देना जनता का गणतांत्रिक अधिकार है। पहले कुछ नहीं बोलता था कारण जनता बटा हुआ था लेकिन इस बार जनता इकट्ठा है। सब जगह का तो नहीं मालूम मगर इ बार यहां से इ दोनों पार्टियों को जनता विदाई कर देगा।सब सुनने के बाद की सचमुच यह पंचायत चुनाव 2018 के पंचायत चुनाव से अलग है।

इस समय साधारण जनता काफी गुस्से में है। वाममोर्चा ने भी अपना चुनावी घोषणा पत्र जारी कर दिया है जिसमें मुख्य रूप से कहा गया है कि जनकल्याणकारी योजना जो चल रही है उसे भ्रष्टाचार मुक्त बनाते हुए उसका विस्तार किया जाएगा साथ ही *जुल्म-जुर्माना-रंगदारी मुक्त बंगाल निर्माण *सबके पास अपना जॉब कार्ड रहेगा * जो भी पात्र होंगे वे सभी आवास योजना में शामिल होंगे * स्कूल के बुनियादी ढांचे, छात्रों और शिक्षकों में सुधार अनुपातिक योग्यता के आधार पर शिक्षकों की भर्ती, किसानों को भुगतान, बीमा, उचित मूल्य पर खाद *फसलों का उचित मूल्य, सहकारी समितियों का पुनरुद्धार *100 दिन के बजाय 200 दिन का काम और न्यूनतम वेतन 600 रुपये प्रति दिन *सामाजिक वनीकरण परियोजनाएं शुरू होगा , अंधाधुंध कटाई और तालाबों को भरने पर रोक *प्रवासी श्रमिकों के लिए बीमा की शुरुआत, इत्यादि।आइए हम सभी एक साथ मिलकर एक भ्रष्टाचार मुक्त जनता की पंचायत का निर्माण करें ताकि पंचायत का अधिक से अधिक लाभ साधारण जनता को मिल सके इसके लिए वाम मोर्चा के सभी उम्मीदवारों को भारी से भारी मतों से विजयी बनाने का आवेदन आप सभी के समक्ष करता हूं।