प्रसिद्ध समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी गोपाल कृष्ण गोखले ने कहा था कि “बंगाल जो आज सोचता है, पूरा भारत वही कल सोचता है”। परंतु आज के बंगाल की परिस्थिति को देखते हुए क्या हम सभी इस बात से सहमत होंगे ? बंगाल, कई महान स्वतंत्रता सेनानी, वैज्ञानिक, लेखकों, फिल्म निर्देशकों, खिलाड़ी एवं महापुरुषों की जन्मभूमि है। केवल यही नहीं बंगाल की धरती से देश की स्वाधीनता एवं समाज सुधार हेतु कई आंदोलन संगठित हुए। अगर एक शब्द में कहा जाए तो बंगाल का इतिहास त्याग एवं बलिदान का रहा है।पूरा देश इस बात को स्वीकार भी करता रहा है। परंतु आज बंगाल जिस स्थिति पर है या यूं कहा जाए कि जिस रास्ते पर बंगाल को ले जाया जा रहा है, हम निश्चित रूप से कह सकते हैं कि यह रास्ता दुनिया के सामने बंगाल के ऐतिहासिक महत्व को कम करने का ही कार्य करेगा।

बात को पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले से ही शुरू करते हैं।  बीरभूम, पश्चिम बंगाल का एक अत्यंत प्राचीन जिला है, हम सभी ने पढ़ा है कि इस जिले को लाल मिट्टी की भूमि कहते हैं। बीरभूम अपनी सांस्कृतिक विरासत के लिए विख्यात है और दुनिया बीरभूम को जानती है शांतिनिकेतन के लिए, शांतिनिकेतन जिसे कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर ने स्थापित किया था । इस शांतिनिकेतन ने कई महान हस्तियों को जन्म दिया। परंतु आज के बीरभूम को देश जान रहा है “गैरकानूनी कार्यकलापों के लिए” बात चाहे गौ-तस्करी की हो या अवैध कोयला, बालू, लोहा मिट्टी की, बीरभूम जिले का नाम सभी में शीर्ष पर आता है।आज जिले में हिंसा, बम विस्फोट, आगजनी, लूट आम बात हो गई है। यह सब देखने व सुनने के बाद यही लगता है कि हमारे बीरभूम जिले की ऐतिहासिक प्रतिष्ठा कहीं धूमिल तो नहीं हो रही ?

दूसरी ओर पश्चिम बंगाल की शिक्षा व्यवस्था को पूरा देश सलाम करता था। बंंगाल से शिक्षा प्राप्त किए लोगों के प्रति अन्य राज्य के लोगों का एक अलग नजरिया रहता था। अन्य राज्य के लोग यहाँ तक कहते थे -जो भी हो बंगाल से पास किया है मतलब पढ़ कर ही पास किया होगा, कारण पढ़ाई-लिखाई के मामले में वहाँ कोई धांधली नहीं होती। परंतु आज के बंगाल से देश के लोगों में क्या संदेश जा रहा है? देश के लोग तो देख रहे हैं कि बंंगाल के शिक्षा विभाग से जुड़े मंत्री से लेकर इस के विभाग के महत्वपूर्ण पदों पर बैठे लोगों तक सभी भ्रष्टाचार के आरोप में जेल की सलाखों के पीछे हैं तथा एक के बाद एक नये-नये भ्रष्टाचारी का नाम सामने आ रहा है। खुद शिक्षा मंत्री के ठिकानों से कई करोड़ रुपये बरामद हो चुके हैं, साथ ही जितने भी भ्रष्टाचारियों को अब तक गिरफ्तार किया गया है उन सभी के पास से अकूत संम्पत्ति बरामद हुई है। गिरफ्तारी एवं संम्पत्ति बरामदगी का सिलसिला अभी भी जारी है। 2011 के बाद से बंंगाल में जितनी भी नियुक्तियां हुई, लगभग सभी में हुए भ्रष्टाचार अब सामने आ रहे हैं।

कल मेरी भेंट एक रिटायर्ड शिक्षक से हुई, मैंने उनसे पूछा कि अपने बंगाल में यह क्या हो रहा है? उन्होंने कहा, जिन्हें गाड़ी चलाना नहीं आता अगर उन्हें गाड़ी चलाने दिया जाए,तो दुर्घटना निश्चित है, वही हो रहा है। देखो न पूरे शिक्षा विभाग के कई महत्वपूर्ण पदों पर बैठे लोग जेल के अंदर हैं। केंद्रीय जांच एजेंसी द्वारा कई महत्वपूर्ण लोगों को गिरफ्तार किया गया है, लेकिन मेरे हिसाब से कल्याणमय गांगुली की गिरफ्तारी ने पूरे बंगाल की साफ सुथरी छवि को धूमिल कर दिया है। कारण कल्याणमय गांगुली, वेस्ट बंगाल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन के अध्यक्ष थे। वे अध्यक्ष के रूप में  2012 से 2016 एवं 2016 से 2022 नियुक्त थे। इन वर्षों के दौरान लाखों छात्र-छात्राओं ने माध्यमिक परीक्षा पास की है एवं उनके सर्टिफिकेट में अध्यक्ष के रूप में इस कल्याणमय गांगुली का ही हस्ताक्षर है। अब तुम ही बताओ जब यह सर्टिफिकेट हमारे यहां के बच्चे बाहर के राज्यों  में रोजगार हेतु जमा देंगे, तब बंगाल की शिक्षा व्यवस्था की छवि उभर कर आएगी? लोग तो कहेंगे ही ना कि एक भ्रष्टाचारी व्यक्ति का हस्ताक्षर आपके शैक्षणिक योग्यता के सर्टिफिकेट पर है। जिस बंगाल की शिक्षा व्यवस्था को लोग सलाम करते नहीं थकते थे ।आज वही लोग हमारी शिक्षा व्यवस्था पर उंगली उठा रहे हैं ,दोषी कौन है? 

अन्य जो लोग भी गिरफ्तार हुए हैं एवं जितनी भी संपत्ति उनसे बरामद हुई है, उनके लिए हमारी भोजपुरी में एक कहावत है कि

 “साबुन लगा के छिड़क देवा इतर,    

तबो ई गदहा होई न पवित्र,

ओहिजे लोटिया जहां धुरपात बेकार बा,

ऐमे दोष एकर नइखे, एकर यहीं संस्कार बा”।

अब तो बंंगाल की एक अलग तस्वीर देश के अन्य राज्यों में तैयार हो रही है। उदाहरण देता हूँ, आज से करीब 15 वर्ष पहले मुझे अपने साले के विवाह में शामिल होने के लिए उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जाना था। किसी भी ट्रेन में टिकट नहीं मिलने के कारण मैं एक साथी को साथ लिए विवाह में शामिल होने हेतु मोटरसाइकिल से ही गोरखपुर के लिए रवाना हो गया। रास्ते भर बिना किसी रोकटोक के उत्तर प्रदेश के बॉर्डर तक पहुंच गया। परंतु जैसे ही बार्डर पार करने लगा, एक सिपाही ने मोटरसाइकिल रोकने को कहा, मैं तुरंत रुक गया, इतने में एक दूसरे सिपाही ने पहले सिपाही से कहा, काहे रोक रहा है, देखता नहीं यह बंगाल नम्बर का मोटरसाइकिल है और बंगाल नियम कानून में सबसे आगे रहता है, बाबू के जाये दे, साथ ही हमसे पूछा – कहाँ जाये के बा, मैंने कहा- गोरखपुर। उसने कहा, ठीक बा जा ।अभी कुछ दिन पहले भतीजे के शादी में शामिल होने हेतु बलिया मोटरसाइकिल से गया था , पूरे रास्ते में पुलिस ने हमें पांच जगह रोक कागजात की जांच की। अंतिम चेकपोस्ट पर मैंने सिपाही से कहा- ” 15 वर्ष पहले मोटरसाइकिल से गोरखपुर गया था, बंंगाल नंबर देखते ही पुलिस जाने के कह देती थी। परंतु आज इतनी जांच क्यों ? सिपाही ने हँसते हुए कहा _”अब बंंगाल में उ वाला बात थोड़े ही रह गया है, टीवी में रोज खाली घोटाला ही घोटाला दिखा रहा है, वहाँ के मंत्री के घर से गड्डी-गड्डी नोट निकल रहा है। आपलोग तो वहीं के हैं, मुझसे बेहतर जानते होंगे।” सिपाही ने मेरे मोटरसाइकिल के पेपर देखने के बाद मुझे जाने को कहा। जान कर दुख हुआ कि बंंगाल के प्रति अन्य राज्यों का नजरिया बदल रहा है।

उधर जब केन्द्रीय एजेंसी द्वारा ई.सी.एल के सात जनरल मैनेजर को अवैध कोयला कांड में गिरफ्तार किया, उसके बाद, एक दिन टीवी डिबेट पर देखा कि तथाकथित बंगला बचाओ, बंगाली बचाओ संगठन के प्रमुख से जब पत्रकारों ने पूछा कि गिरफ्तार किए गए सात जनरल मैनेजर में से 6 बंगाली हैं इस पर आपका क्या कहना है, उनका जवाब था ” बंगाली निजेर अधिकार बुझे निछे” मतलब बंगाली अपना अधिकार ले रहा है। अब तुम ही सोचो कि इस राज्य में किस मानसिकता का प्रचार हो रहा है। जहां चोरी, भ्रष्टाचार , अवैध कारोबार अधिकार की श्रेणी में आ रहे हैं, सचमुच बंंगाल बदल रहा है। बंगाल, सुभाष चंद्र बोस, रवींद्र नाथ ठाकुर, राजा राममोहन राय , खुदीराम बोस, जगदीश चंद्र बसु, स्वामी विवेकानंद, बिपिन चंद्र पाल  जैसे अनेकों महान हस्तियों की जन्मभूमि रही है। वही आज का बंगाल, क्या सोच रहा है तुम समझो?

राजनीति को परे रख एक बार हम सभी को यह बात सोचनी चाहिए कि हम बंगाल को किस रास्ते पर ले जा रहे हैं?