“वो भी शामिल था बहार-ए-वतन की लूट मेंफकीर बन कर आया था जो लाखों के सूट में”


किसी की लिखी ये पंक्तियां देश की राष्ट्रीय संपत्ति लूट की दास्तां बयां कर रही है। देश को उर्जा प्रदान करने वाली देश की सबसे बड़ी राष्ट्रीयकृत कंपनी कोल इडिया लिमिटेड को भी केंद्र की बीजेपी सरकार ने अपने शासन के इन 8 वर्षों में धीरे -धीरे कर निजीकरण की राह पर खड़ा कर दिया है । कोयला उद्योग में सुधार के नाम पर इन 8 वर्षों में इस लाभजनक उद्योग का विनाश करने हेतु  बीजेपी सरकार  एक के बाद एक कई मजदूर तथा उद्योग विरोधी कानून बना चुकी है। इसका सीधा मतलब कोयला उद्योग का निजीकरण करना है। आइए हम इन कानूनों पर एक नजर डालते हैं और समझने की कोशिश करते हैं कि कैसे कोयला उद्योग को निजी मालिकों के हाथों में सौंपा जा रहा है। देश की साधारण जनता को बड़े-बड़े सपने दिखाकर बीजेपी  ने 2014 में केंद्र में सरकार गठन किया  और उसी साल पहला हमला कोयला उद्योग के ऊपर शुरू किया ,The Coal Mines (Special Provision) 2014 नामक बिल लाकर। परंतु कोयला मजदूरों द्वारा लगातार संघर्ष के कारण यह  बिल  2014 में संसद में पास नहीं हो सका। परंतु सत्ता के नशे में मदहोश इस मजदूर विरोधी सरकार ने मजदूर आन्दोलनों को अनदेखी करते हुए  2015 में फिर से इस बिल को संसद के दोनों सदनों में पास करा कानून का रूप दे दिया। जिसका नाम The Coal Mines (Special Provision)  Act 2015  हुआ। ऐसा क्या था, इस कानून में जिसका कोयला मजदूर इतना विरोध कर रहे थे। इस कानून के द्वारा कहा गया  कि”कोई भी कंपनियां कोयला उत्तोलन कर बाजार में बेच सकती हैं”   इसके साथ और कई प्रकार की छूट निजी कंपनियों को दी गयी।


इससे पहले का कानून क्या था- कोयला उद्योग के राष्ट्रीयकरण कानून के अनुसार जमीन के नीचे जितना भी कोयला है वह सब केन्द्रीय सरकार के अधीन है और सरकार ही इसका उत्तोलन एवं बिक्री करेगी। कोयला उद्योग राष्ट्रीय कानून में कई बार संशोधन किए गए परंतु कोयला उत्तोलन और बेचने का अधिकार सरकार ने अपने पास ही रखा था।लेकिन 2015 के Coal Mines (Special Provision) Act 2015  के द्वारा कोयला बेचने का अधिकार निजी कंपनियों को दे दिया गया। अब CMSP Act, 2015 के तहत सुप्रीम कोर्ट के द्वारा रद्द किए गए कोल ब्लॉक का आवंटन शुरू किया गया। परंतु इतना कुछ देने के बावजूद निजी कंपनियां कोल ब्लॉक लेने में रुचि नहीं दिखा रही थी। केवल कुछ एक पुराने निजी कंपनियों द्वारा उत्पादन किया जा रहा था। कोयला मंत्रालय के तथ्य के अनुसार इन कोल ब्लॉक का उत्पादन साल 2015-16 -11.81MT, 2016-17- 15.31MT, 2017-18- 16.20MT हुई थी। इसके बाद साल 2019 में केंद्र की बीजेपी सरकार द्वारा कोयला क्षेत्र में 100 % विदेशी विनियोग (FDI) किया गया। जिसका कोयला मजदूरों ने पुरजोर विरोध किया।


इसके बाद साल 2020 केंद्र की बीजेपी सरकार ने जब निजी कंपनियों के कोल ब्लॉक्स आवंटन में हिस्सा न लेने का कारण जानना चाहा तब उन्हें पता चला कि इस कानून सहित अन्य कानून में अभी और जटिलता है। जिसके कारण निजी कंपनियां नहीं आ रही हैं। इसे और सरल बनाना चाहिए। फिर केंद्र की बीजेपी सरकार ने  2020 में Mineral Law (Amendment) Act, 2020 बनाया और इसे लागू किया। इस कानून के द्वारा उसने The Mine and Minerals (Development and Regulations) Act 1957 (MMDR Act) और The Coal Mines (Special Provisions) Act 2015 (CMSP Act) को पुनः संशोधित कर दिया। इस कानून में कहा गया कि “ऐसी कंपनियां जिसके पास भारत में कोयला खनन का अनुभव नहीं है, ऐसी कंपनियां भी कोल ब्लॉक की नीलामी में हिस्सा ले सकती है और उसे खरीद सकती है”। इसके साथ ही अन्य बहुत प्रकार की सुविधाएं उन्हें प्रदान की गई। इस नये कानून के साथ प्रधानमंत्री स्वयं कोयला ब्लाक की बिक्री करने मैदान में उतर पड़े। इसी साल सरकार ने पिछले कोल ब्लॉक एलोकेशन रुल को संशोधित कर Coal Blocks Allocation (Amendment) Rules 2020 भी बनाया। इस रूल के तहत” कीमत की जगह -कीमत या प्रतिशतता” किया गया। इसके बाद कोयला ब्लॉक का आवंटन का काम शुरू हुआ। अब तक 107 कोयला ब्लॉक( कोयला खान) आवंटित की जा चुकी है जिसमें 48 कोयला खान पावर सेक्टर को दिया गया है। 22 कोयला खान आयरन एंड स्टील कंपनियों को मिला है और 37 अन्य कंपनियों को मिला है, कोयला बेचने के लिए। अभी भी आवंटन जारी है। साल 2021में ऐसेट मोनेटाइजेशन प्लान बनाया गया इस प्लान के तहत  नीति आयोग ने कोयला उद्योग की संपत्ति बेचकर वित्तीय वर्ष 2021-22 में 3394 करोड़ रुपए जुटाने को कहा है। इस पर काम जारी है कोयला मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार अब तक संपत्ति बेचकर 19,915.19 रुपये मिले है। अब Colliery Control (Amendment) Rule 2021 नामक यह नया कानून प्रस्तावित है जो पुराने कोलियरी कंट्रोल के नियमों को संशोधित करती है। इसके साथ नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन (NMP) को भी कोयला उद्योग पर लगा दिया गया है इसके तहत भी कोयला उद्योग के कोयला खानों को निजी मालिकों के हाथों पानी के भाव बेचना है। इन 8 वर्षों में कोयला उद्योग के अनेक छोटे-बड़े कानून जो मजदूर अपने आंदोलन के जरिए हासिल किए थे उन सारे कानूनों को परिवर्तित कर निजी मालिकों के हाथों कोयला उद्योग को बेचने का मार्ग प्रशस्त कर दिया।अभी हाल ही में संपन्न हुए मुंबई के इन्वेस्टर मीट में कोयला उद्योग की 20 बंद पड़े खानों को निजी मालिकों के हाथों सौंप दिया गया।कोयला उद्योग को पुनः राष्ट्रीयकरण से पहले की अवस्था में ले जाने की साजिश।


सूची उन 20 बंद पड़े अंडरग्राउंड कोयला खदानों के जिन्हें कोयला मंत्रालय ने रेवेन्यू शेयरिंग मॉडल के हिसाब से निजी मालिकों को देने जा रही है।●ई.सी एल के 4 अंडरग्राउंड खदान1. मौयरा, बाकोला एरिया, कुल माइनिंग एरिया- 455Ha, कोयला का ग्रेड – G4, 2. चिनाकुड़ी, सोदपुर एरिया, कुल माइनिंग एरिया- 1762.7Ha, कोयला का ग्रेड – G4 और सेमी कोकिंग कोल II, 3. मधुजोड़, काजोड़ा एरिया, कुल माइनिंग एरिया- 547.44Ha, कोयला का ग्रेड – G1-G10, 4. गोपीनाथपुर/श्यामपुर, मुगमा एरिया, कुल माइनिंग एरिया- 648.02Ha, कोयला का ग्रेड – G4।●सी.सी.एल के 2 अंडरग्राउंड खदान1. सेंट्रल सौन्दा, बरका-सयाल एरिया, कुल माइनिंग एरिया- 139.84 Ha, कोयला का ग्रेड – G4 2.करणपुआ खास, बरका-सयाल एरिया, कुल माइनिंग एरिया- 175.43 Ha, कोयला का ग्रेड – G7।●बी.सी.सी.एल के 5 अंडरग्राउंड खदान1. लोहापट्टी, वेस्टर्न एरिया, कुल माइनिंग एरिया- 1577.2 Ha, कोयला का ग्रेड – W II, 2. मधुबन, भौंरा एरिया, कुल माइनिंग एरिया- 393.77 Ha, कोयला का ग्रेड – SII ,WIV ,3. अमलाबाद, ईस्ट झरिया एरिया, कुल माइनिंग एरिया- 386.95 Ha, कोयला का ग्रेड -W II 4. लोयाबाद, लोयाबाद एरिया, कुल माइनिंग एरिया- 499.56Ha, कोयला का ग्रेड – WIII/G7 ,5.खरखरे, गोविन्द एरिया, कुल माइनिंग एरिया- , कोयला का ग्रेड – W IV/G8।●एस.ई.सी.एस के 4 अंडरग्राउंड खदान1. बरतुंगा हिल, चीरीमिरी एरिया, कुल माइनिंग एरिया- 474.75Ha, कोयला का ग्रेड – G8, 2.अंजन हिल, चीरीमिरी एरिया, कुल माइनिंग एरिया- 211.58Ha, कोयला का ग्रेड – G4/G5, 3.कल्यानी, भटगांव एरिया, कुल माइनिंग एरिया- 176.59Ha, कोयला का ग्रेड – G4/G7, 4.बीरसिंहपुर पाली, जोहिला एरिया, कुल माइनिंग एरिया- 277.87Ha, कोयला का ग्रेड – G4।●डब्ल्यू.सी.एल के 5 अंडरग्राउंड खदान1.राजुरा PITS, वाणी उत्तर एरिया, कुल माइनिंग एरिया- 742.52Ha, कोयला का ग्रेड – G7, 2.बैरुर, बल्लाभपुर एरिया, कुल माइनिंग एरिया- 262.07Ha, कोयला का ग्रेड – G7, 3.ए.बी इंक्लाइन, नागपुर एरिया, कुल माइनिंग एरिया- 193.75Ha, कोयला का ग्रेड – G8/G9, 4.पीपला, नागपुर एरिया, कुल माइनिंग एरिया- 190Ha, कोयला का ग्रेड – G5/G7, 5.वालनी, नागपुर एरिया, कुल माइनिंग एरिया- 273Ha, कोयला का ग्रेड – G8,।मुंबई में आयोजित कोयला मंत्रालय की इन्वेस्टर मीट में उपरोक्त बंद अंडरग्राउंड कोयला खदानों को निजी मालिकों के हाथों बेच दिया जाएगा, इसकी आधिकारिक घोषणा की गई। इस सभा में अपने अभिभाषण में श्री नागराज ,एडिशनल कोल सेक्रेट्री, मिनिस्ट्री ऑफ कोल ने कहा कि आज का दिन कोयला उद्योग के लिए एक अहम दिन है। आज के दिन हम बंद पड़े 20 कोयला खदानों को निजी मालिकों के हाथों सौंपने जा रहे हैं ,रेवेन्यू शेयर मॉडल के अनुसार।

उन्होंने यह भी कहा कि अभी यह शुरुआत है कोल इंडिया के पास अभी भी 100 से ज्यादा इस तरह की अंडरग्राउंड कोयला की खाने मौजूद है जिसे आगामी दिनों में निजी मालिकों को सौंपा जाएगा। इस दौरान उन्होंने जो मुख्य बातें कही-* इन खदानों को कोल इंडिया ने बंद कर दिया क्योंकि यह कोल इंडिया के लिए वित्तीय रूप से उपयुक्त नहीं थी, लेकिन निजी मालिकों के लिए यह उपयुक्त है।* टेंडर पाने वाले निजी मालिकों के हाथों इन खदानों को पूरे आधारभूत संरचना समेत सौंप दिया जाएगा।* अब जिस भी निजी मालिक को जो खदान मिलेगी, उसे फिर से खोलना,विकसित करना, उत्पादन करना और उत्पादित कोयले को बेचना शामिल है पूरे 25 वर्षों के लिए या जब तक खदान का उम्र है तब तक।* मुख्य माइन ऑपरेटर ही खदान का मालिक होगा माइन्स एक्ट 1952 के अनुसार, यह भी उन्होंने कहा।* निजी मालिकों को बाजार मूल्य के अनुसार कोयला बेचने की स्वतंत्रता रहेगी। वह किसी भी प्रकार का माइनिंग मेथड, माइनिंग टेक्नोलॉजी उपयोग करने के लिए स्वतंत्र होंगे।यह सब मुख्य बातें एडिशनल सेक्रेटरी, मिनिस्ट्री ऑफ कोल श्री नागराज ने रखी। इसके बाद भी बहुत सारी बातें उन्होंने रखी जिनमें अकाउंट, वह कितना पर्सेंट सी.आई.एल को देंगे, वे अपने हिसाब से मजदूर खदानों में नियुक्त कर सकते हैं, उनका वेतन एच.पी.सी के अनुसार दे देना होगा इत्यादि। कोयला सेक्रेटरी की  बातें सुनकर ऐसा महसूस हुआ कि रेवेन्यू शेयरिंग मॉडल के नाम पर इन कोयला खदानों को निजी मालिकों को पानी के दर बेच दिया गया। अब वही फिर से राष्ट्रीयकरण के पहले वाला दौर की शुरुआत हो गई है।  जिन कोयला की खदानों में उच्च कोटि के कोयले का इतना भंडार संचित है, वे कोयला की खदानें कोल इंडिया के लिए अनुपयुक्त कैसे हो सकती हैं? सवाल यह है।

कोयला की खानों में कोयले का भंडार संचित रहते हुए भी उन्हें बंद क्यों किया गया?  इन 20 कोयला खदानों में कोयले का भंडार था, मजदूर थे,प्रोडक्शन था फिर भी इन्हें क्यों बंद किया गया? कोल इंडिया लिमिटेड दुनिया की बड़ी कंपनियों में से एक है तो फिर उन्हें, इन कोयला खदानों को पुनः खोलने क्यों नहीं दिया गया? सवाल बहुत सारे हैं ,केंद्र में बैठी बीजेपी सरकार की मंशा कोल इंडिया के प्रति कैसी है यह कोयला मजदूरों से छिपा नहीं है। वे जल्द से जल्द कोल इंडिया को निजी मालिकों के हाथों में सौंपने की साजिश रच रहे हैं। कोल इंडिया लिमिटेड के विभिन्न अनुसांगिक कम्पनियों में इन मज़दूर विरोधी एवं उद्योग विरोधी नीतियों के खिलाफ सी.आई.टी.यू  लगातार आंदोलन कर रहा है। कोयला मजदूरों को इन साजिशों के खिलाफ और अधिक तीव्र संघर्ष, आंदोलन के रास्ते पर अग्रसर होना होगा । 
संभलोगे, गर अब भी न संभले,  ये कोयला मज़दूरों, तुम्हारी दास्ताँ भी न होगी दास्तानों में!