28 मई का दिन देश की नई संसद भवन के उद्घाटन का दिन था।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि 28 मई को लोकतंत्र के मंदिर(नए संसद भवन) का उद्घाटन होगा। देश के अलग-अलग जगह से साधु-संतों को इस लोकतंत्र के मंदिर के उद्घाटन में शामिल होने के लिए बुलाया गया था। तमिलनाडु से अधीनम मठ के और अन्य संतों को एक विशेष विमान से प्रधानमंत्री निवास में लाया गया। नए संसद भवन का भव्य उद्घाटन समारोह हुआ और नए संसद भवन में मोदी -मोदी के नारे खूब गूंजे। नए संसद भवन के नियम भी नए हैं जैसे उद्घाटन राष्ट्रपति से ना करवाकर प्रधानमंत्री करता है। संसद भवन में भी प्रधानमंत्री आगे चलता है और लोकसभा का स्पीकर पीछे-पीछे।

         प्रधानमंत्री मोदी जी ने अपने एक भाषण में कहा था कि भारत एक लोकतांत्रिक राष्ट्र ही नहीं बल्कि लोकतंत्र की जननी भी है। लेकिन जिस दिन इस लोकतंत्र की जननी में लोकतंत्र के मंदिर का उद्घाटन हुआ उस दिन को भारत के लोग लोकतंत्र पर मंडराते आपातकाल के रूप में याद रखेंगे। भारत के इतिहास में 28 मई 2023 का दिन गौरव के दिन के रूप में नहीं बल्कि लोकतंत्र की हत्या से जुड़े एक काले अध्याय के रूप में याद किया जाएगा। इस दिन जहां एक तरफ नए संसद भवन का उद्घाटन था वहीं दूसरी तरफ देश की महिला पहलवान जो एक महीने से ज्यादा समय से जंतर मंतर पर रेसलिंग फेडरेशन के अध्यक्ष और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह द्वारा महिला खिलाड़ियों के साथ यौन उत्पीड़न करने पर उनकी गिरफ्तारी की मांग को लेकर धरने पर बैठी हुई हैं, उनको और उनके समर्थन में आए हुए अन्य लोगों को पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया।28 मई को महिला पहलवानों के समर्थन में खाप पंचायत,महिला पंचायत और किसानों द्वारा ‘महिला सम्मान महापंचायत’ का आवाहन नए संसद भवन के सामने किया गया था।इस ‘महिला सम्मान महापंचायत’ में शामिल होने के लिए हरियाणा पंजाब समेत अन्य राज्यों से किसानों,खाप पंचायत,महिलाओं और अन्य लोगों को जो इस महापंचायत में शामिल होने आ रहे थे ,उन्हें पुलिस ने बैरिकेड लगाकर बॉर्डर्स पर ही रोक दिया। पूरी दिल्ली को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया ,ताकि बाहर से कोई भी महिला पहलवानों को समर्थन ना कर सके।

     साक्षी मलिक,विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया सहित पहलवानों और उनके समर्थकों को जो जंतर मंतर पर मौजूद थे उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। हम सब ने देखा किस तरह देश के लिए मेडल लाने वाली देश की बेटियों को सड़क पर पुलिस घसीटते हुए ले कर गई।इस नए लोकतंत्र के मंदिर वाले देश में देश की बेटियों का शोषण करने वाला आदमी आराम से घूम रहा है ,उसे पुलिस पकड़ नहीं रही है और अपने लिए न्याय मांग रही बेटियों और उनके समर्थन में आई महिलाओं और आम लोगों को पुलिस हिरासत में लेकर लोकतंत्र की हत्या कर रही है। देश की बेटियों को इंसाफ देने की बजाय उनकी आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है ।उन्हें गिरफ्तार किया गया है जैसे कि वही दोषी हों।जब देश की बेटियों को सड़कों पर घसीटा जा रहा था तब तमाम कैमराजीवी उद्घाटन समारोह में व्यस्त थे।

       हमारे लिए बहुत शर्म की बात है कि हमारे देश का प्रधानमंत्री विदेश घूम रहा है, मन की बातें कर रहा है ,पर देश की बेटियों के हक में और उनके शोषण करने वाले के खिलाफ़ बोलने को एक शब्द भी नहीं है उनके पास। एक तरफ तो वह ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ का नारा देते हैं,दूसरी तरफ देश की पहलवान बेटियों का शोषण करने वाले बीजेपी के सांसद के खिलाफ चुप्पी साधे हुए हैं। किसी ने सच ही कहा है कि राजनीतिक ताकत का हद से ज्यादा मिलना इंसान को अहंकारी बना देता है। सत्ताधारी अहंकारी हो चुके हैं। वह लोकतंत्र को राजतंत्र में बदलना चाहते हैं।

    जब किसी देश का राजा तानाशाही पर उतर आता है तो जनता उसे उसकी सही जगह दिखाना भी जानती है। गाजीपुर बॉर्डर पर रोके गए किसानों ने कहा कि जब तीन कृषि काले कानून लाए गए थे तब हमने हमारे खेतों और फसलों को बचाने की लड़ाई लड़ी थी।अब लड़ाई नस्लों को बचाने की है और हम अपनी फसलों और नस्लों को बचाना अच्छी तरह जानते हैं। तब भी हम जीत कर वापस गए थे और इस  बार भी हम जीत कर ही वापस जाएंगे।

         लोकतंत्र की जीत तब ही मुमकिन होती है जब उस देश में रहने वाले लोग जाति, धर्म, वर्ण इन सब बातों से ऊपर उठकर अन्याय के खिलाफ एकजुट होकर खड़े होते हैं।आज हमारा देश लोकतांत्रिक आपातकाल की स्थिति की तरफ जा रहा है।आज हम सबको लोकतंत्र को बचाने के लिए जाति ,धर्म पर इन सब से ऊपर उठकर एकजुट होकर इन तानाशाह सत्ताधारियों के खिलाफ लड़ना होगा। तब जाकर हम लोग अपने देश में लोकतंत्र को फिर से कायम कर पाएंगे ।